लघु और मध्यम उद्यमों के लिए महत्वपूर्ण: धारा 43बी (एच) और एमएसएमई अधिनियम की धारा 15 का विश्लेषण (section 15 of msme act 2006)
भारत की आर्थिक रीढ़ माने जाने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा कई सारे उपाय किए गए हैं। इनमें से प्रमुख है “सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विकास अधिनियम, 2006” (MSME Act, 2006)। यह लेख आपको इस अधिनियम के दो महत्वपूर्ण पक्षों – धारा 15 और आयकर अधिनियम की धारा 43बी (H) – से रूबरू कराएगा, साथ ही इनसे जुड़े लाभों और उपयोगकर्ता के नजरिए से महत्वपूर्ण जानकारियों को उजागर करेगा।
भारत की अर्थव्यवस्था में लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की रीढ़ की हड्डी की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। वे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में अहम योगदान देते हैं। मगर, कई बार उन्हें अपने आपूर्तिकर्ताओं से समय पर भुगतान प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। एमएसएमई अधिनियम की धारा 15 और आयकर अधिनियम की धारा 43बी (एच) – का विश्लेषण करता है, जो एमएसएमई को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
एमएसएम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम अधिनियम, 2006 की धारा 15:
यह धारा बड़े उद्यमों को एमएसएमई को समय पर भुगतान करने के लिए बाध्य करती है। भुगतान की निर्धारित समय सीमा निर्धारित है:
- सूक्ष्म उद्यमों के लिए: 15 दिन (लिखित समझौते के अभाव में)
- लघु उद्यमों के लिए: 45 दिन (लिखित समझौते के अभाव में)
आंकड़ों पर एक नज़र:
- 2020-21 में, 91% एमएसएमई को समय पर भुगतान नहीं मिला।
- एमएसएमई को औसतन 47 दिन का देर से भुगतान मिलता है।
- समय पर भुगतान न होने से एमएसएमई को वार्षिक ₹5 लाख का नुकसान होता है।
धारा 15 के लाभ:
- एमएसएमई को समय पर भुगतान प्राप्त करने में मदद करता है, उनकी नकदी प्रवाह में सुधार करता है।
- कार्यशील पूंजी की चिंताओं को कम करता है और ऋण निर्भरता को कम करता है।
- एमएसएमई के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार करता है, उन्हें निवेश और विस्तार के लिए सक्षम बनाता है।
- कर लाभ: बड़े उद्यमों को समय पर भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करने के कारण, एमएसएमई अप्रत्यक्ष रूप से इससे लाभ उठाते हैं। समय पर भुगतान से एमएसएमई बड़ी राशि का निवेश कर सकते हैं और अपना व्यवसाय बढ़ा सकते हैं।
- कानूनी संरक्षण: एमएसएमई अधिनियम का उल्लंघन करने वाले बड़े उद्यमों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। यह कानूनी संरक्षण एमएसएमई को देरी से भुगतान के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार देता है।
धारा 15 के कार्यान्वयन में चुनौतियां:
- बड़े उद्यमों द्वारा धारा का उल्लंघन।
- प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र का अभाव।
- एमएसएमई का कम कानूनी जागरूकता।
- आयकर अधिनियम की धारा 43बी (एच):
यह धारा, वित्त अधिनियम 2023 द्वारा पेश की गई, बड़े उद्यमों को एमएसएमई को किए गए भुगतान पर कटौती का दावा करने की अनुमति देती है, बशर्ते भुगतान एमएसएमई अधिनियम की धारा 15 में निर्धारित समय सीमा के भीतर किया गया हो।
धारा 43बी (एच) के लाभ:
- बड़े उद्यमों को समय पर भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- एमएसएमई की वसूली दर में सुधार करता है।
- करदाताओं के लिए कर लाभ प्रदान करता है।
धारा 43बी (एच) के कार्यान्वयन में चुनौतियां:
- नई धारा होने के कारण जागरूकता का अभाव।
- कटौती का दावा करने के लिए जटिल प्रक्रिया।
- एमएसएमई और बड़े उद्यम के बीच लिखित समझौतों की कमी।
एमएसएमई अधिनियम के तहत समय पर भुगतान प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- एमएसएमई अधिनियम और आयकर अधिनियम की इन धाराओं का लाभ उठाने के लिए, एमएसएमई को खुद को पंजीकृत करें |
- लिखित समझौता:
- हमेशा खरीदार के साथ एक लिखित समझौता करें जिसमें भुगतान की शर्तें स्पष्ट रूप से उल्लिखित हों।
- समझौते में भुगतान की तारीख, देरी होने पर ब्याज दर और विवाद समाधान तंत्र शामिल होना चाहिए।
- चालान और दस्तावेज़:
- सभी लेनदेन के लिए उचित चालान और दस्तावेज़ीकरण रखें।
- भुगतान की तारीख और बकाया राशि का रिकॉर्ड रखें।
- समय पर भुगतान की मांग:
- भुगतान की देय तिथि से पहले खरीदार को भुगतान की याद दिलाएं।
- यदि भुगतान समय पर नहीं किया जाता है, तो तुरंत लिखित रूप में मांग करें।
- कानूनी सहायता:
- यदि खरीदार भुगतान करने से इनकार करता है, तो आप कानूनी सहायता ले सकते हैं।
- कई एमएसएमई संगठन और सरकारी एजेंसियां हैं जो एमएसएमई को कानूनी सहायता प्रदान करती हैं।
- जागरूकता और शिक्षा:
- एमएसएमई अधिनियम और धारा 15 के बारे में खुद को शिक्षित करें।
- अन्य एमएसएमई को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने में मदद करें।
अतिरिक्त सुझाव:
- एमएसएमई मंत्रालय द्वारा संचालित पोर्टल “एमएसएमई समाधान” का उपयोग करें।
- एमएसएमई संगठनों, जैसे कि फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (FISME) से जुड़ें।
- सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाएं जो एमएसएमई को समय पर भुगतान प्राप्त करने में मदद करते हैं।
उपयोगकर्ता के दृष्टिकोण से:
एमएसएमई के लिए, धारा 43बी (एच) और धारा 15 उनके व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हैं। समय पर भुगतान न केवल उनकी नकदी प्रवाह में सुधार करता है, बल्कि उन्हें विस्तार करने और अधिक रोजगार सृजन करने में भी सक्षम बनाता है