msme section 43b h | एमएसएमई धारा 43बी एच :
भारत में छोटे और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अर्थव्यवस्था का रीढ़ हैं। वे रोजगार सृजन और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन, कई बार एमएसएमई को अपने आपूर्तिकर्ताओं से समय पर भुगतान प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यहाँ पर आयकर अधिनियम की धारा 43बी (एच) उनकी मदद के लिए सामने आती है।
एमएसएमई धारा 43बी (एच) क्या है?
msme section 43b h – धारा 43बी (एच) को वित्त अधिनियम 2023 द्वारा पेश किया गया था। यह धारा किसी बड़े उद्यम को एमएसएमई को किए गए भुगतान पर कटौती का दावा करने की अनुमति देती है, बशर्ते कि भुगतान एमएसएमई अधिनियम, 2006 के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर किया गया हो।
इसका मतलब क्या है?
सरल शब्दों में, यदि कोई बड़ा उद्यम किसी एमएसएमई को 15 या 45 दिनों के निर्धारित समय सीमा के भीतर भुगतान करता है (लिखित समझौते के अनुपस्थिति में 15 दिन), तो वह अपने कर योग्य आय से भुगतान की गई राशि को घटा सकता है। इससे बड़े उद्यमों को समय पर भुगतान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे एमएसएमई के नकदी प्रवाह में सुधार होता है।
आइए एक उदाहरण देखें:
मान लीजिए, एक बड़े उद्यम ने एक एमएसएमई को ₹10 लाख का सामान खरीदा है। भुगतान की निर्धारित समय सीमा 45 दिन है। यदि बड़ा उद्यम 45 दिनों के भीतर ₹10 लाख का भुगतान करता है, तो वह अपने कर योग्य आय से ₹10 लाख को घटा सकता है। इसका मतलब है कि बड़े उद्यम को कम कर देना होगा।
यह एमएसएमई के लिए कैसे फायदेमंद है?
एमएसएमई के लिए धारा 43बी (एच) कई तरह से फायदेमंद है:
- समय पर भुगतान: यह धारा सुनिश्चित करती है कि एमएसएमई को अपने आपूर्तिकर्ताओं से समय पर भुगतान प्राप्त हो। इससे उनके नकदी प्रवाह में सुधार होता है और कामकाज सुचारू रूप से चलता है।
- बढ़ी हुई कार्यशील पूंजी: समय पर भुगतान प्राप्त करने से एमएसएमई अपनी कार्यशील पूंजी की चिंता कम कर सकते हैं और अपने कर्ज कम कर सकते हैं।
- बेहतर वित्तीय स्वास्थ्य: धारा 43बी (एच) एमएसएमई के समग्र वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार लाती है। इससे उन्हें निवेश करने और विस्तार करने की क्षमता बढ़ती है।
- एमएसएमई को नकदी प्रवाह में सुधार: समय पर कर कटौती से एमएसएमई को देरी से भुगतान के प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है और उनके नकदी प्रवाह में सुधार हो सकता है।
- एमएसएमई का विकास: बेहतर नकदी प्रवाह के साथ, एमएसएमई अपने कारोबार का विस्तार कर सकते हैं और अधिक रोजगार पैदा कर सकते हैं।
- करदाताओं के लिए कर लाभ: करदाता देरी से भुगतान पर देय कर का कटौती कर सकते हैं, जिससे उनकी कर देनदारी कम हो सकती है।
समय पर भुगतान का क्या मतलब है?
धारा 43बी (एच) के तहत, समय पर भुगतान का मतलब माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज डेवलपमेंट एक्ट, 2006 की धारा 15 में निर्धारित समय सीमा के भीतर भुगतान है। माइक्रो उद्यमों के लिए यह समय सीमा 15 दिन है और छोटे उद्यमों के लिए 45 दिन है।
कितनी कर कटौती की जा सकती है? या कटौती की राशि कैसे तय की जाती है?
धारा 43बी (एच) के तहत करदाता देय कर की पूरी राशि या देरी से भुगतान की राशि, जो भी कम हो, का कटौती कर सकता है। उदाहरण 1 – यदि कोई करदाता किसी एमएसएमई उद्यम को ₹10,000 का भुगतान 45 दिनों के बाद करता है और उस पर देय कर ₹2,000 है, तो वह ₹2,000 की पूरी राशि का कटौती कर सकता है।
उदाहरण 2 – कटौती की राशि देरी से भुगतान की गई राशि का एक प्रतिशत है। उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी ने किसी सूक्ष्म उद्यम को ₹10 लाख का भुगतान 30 दिन की देरी से किया है, तो कंपनी ₹10,000 (₹10 लाख का 1%) आयकर व्यय के रूप में कटौती कर सकती है।
हालांकि, कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:
- यह धारा केवल एमएसएमई अधिनियम के तहत पंजीकृत एमएसएमई पर लागू होती है।
- कटौती का दावा करने के लिए बड़े उद्यम को भुगतान निर्धारित समय सीमा के भीतर करना होगा।
- एमएसएमई और बड़े उद्यम के बीच लिखित समझौते के मामले में निर्धारित समय सीमा समझौते में उल्लिखित समय अवधि होगी।
- एमएसएमई के लिए भुगतान विवादों के निपटान के लिए प्रभावी तंत्र स्थापित करना।
- एमएसएमई को आसानी से ऋण उपलब्ध कराना।
निष्कर्ष:
धारा 43बी (एच) एमएसएमई के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह उनकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और उन्हें विकास के लिए प्रोत्साहित करने में मदद करेगी। हालांकि, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस धारा का कार्यान्वयन पारदर्शी और कुशल हो।